12+
текст

Объем 220 страниц

12+

वरध तकत

текст
399
587,18 ₽
Подарите скидку 10%
Посоветуйте эту книгу и получите 58,72 ₽ с покупки её другом.

О книге

”वरध तकत” खद क हम म स हर एक म मजद महन दवद पर कब पन क वकलप क रप म परसतत करत ह। जवन म कतन बर हम उन परसथतय क समन करत ह जनम दन वकलप अनकल और परतकल परसथतय क हत ह और उनम स एक क चनन क करय ह सह बलदन ह जत ह। हम परतबबत करन और धयन स सचन क लए सखन चहए क कस तरह सचच मरग क पलन कय जन चहए और उस चनव क परणम कय ह। अत म, हम अपन जवन म ”वरध तकत” क इकटठ करन और फल पद करन क जररत ह। इस परकर, हम एक बहत ह वछत खश परपत कर सकत ह।”वरध तकत” खद क हम म स हर एक म मजद महन दवद पर कब पन क वकलप क रप म परसतत करत ह। जवन म कतन बर हम उन परसथतय क समन करत ह जनम दन वकलप अनकल और परतकल परसथतय क हत ह और उनम स एक क चनन क करय ह सह बलदन ह जत ह। हम परतबबत करन और धयन स सचन क लए सखन चहए क कस तरह सचच मरग क पलन कय जन चहए और उस चनव क परणम कय ह। अत म, हम अपन जवन म ”वरध तकत” क इकटठ करन और फल पद करन क जररत ह। इस परकर, हम एक बहत ह वछत खश परपत कर सकत ह।पसतक क पहल क लए, हम कह सकत ह क ज यह रन मन नरश क गफ म सन ह। यह रन कतब म बतय गए सभ करनम क करण थ। मशन पर हआ, मझ आश ह क म अपन अतम लकषय तक पहच गय ह ज सरफ एक वयकत क सपन बनन ह। यह वह ह जसक म अभ भ परसतव दत ह कयक हम हस, कररत और अनयय स भर दनय म रहत ह। ”वरध तकत” फर कभ इसक परकशन क बद पहल क समन नह रहग और म पठक क सथ एक नय जखम उठन क इतजर नह कर सकत ज भ ऐस करन क इरद रखत ह।

Оставьте отзыв

Войдите, чтобы оценить книгу и оставить отзыв

Описание книги

”वरध तकत” खद क हम म स हर एक म मजद महन दवद पर कब पन क वकलप क रप म परसतत करत ह। जवन म कतन बर हम उन परसथतय क समन करत ह जनम दन वकलप अनकल और परतकल परसथतय क हत ह और उनम स एक क चनन क करय ह सह बलदन ह जत ह। हम परतबबत करन और धयन स सचन क लए सखन चहए क कस तरह सचच मरग क पलन कय जन चहए और उस चनव क परणम कय ह। अत म, हम अपन जवन म ”वरध तकत” क इकटठ करन और फल पद करन क जररत ह। इस परकर, हम एक बहत ह वछत खश परपत कर सकत ह।

”वरध तकत” खद क हम म स हर एक म मजद महन दवद पर कब पन क वकलप क रप म परसतत करत ह। जवन म कतन बर हम उन परसथतय क समन करत ह जनम दन वकलप अनकल और परतकल परसथतय क हत ह और उनम स एक क चनन क करय ह सह बलदन ह जत ह। हम परतबबत करन और धयन स सचन क लए सखन चहए क कस तरह सचच मरग क पलन कय जन चहए और उस चनव क परणम कय ह। अत म, हम अपन जवन म ”वरध तकत” क इकटठ करन और फल पद करन क जररत ह। इस परकर, हम एक बहत ह वछत खश परपत कर सकत ह।


पसतक क पहल क लए, हम कह सकत ह क ज यह रन मन नरश क गफ म सन ह। यह रन कतब म बतय गए सभ करनम क करण थ। मशन पर हआ, मझ आश ह क म अपन अतम लकषय तक पहच गय ह ज सरफ एक वयकत क सपन बनन ह। यह वह ह जसक म अभ भ परसतव दत ह कयक हम हस, कररत और अनयय स भर दनय म रहत ह। ”वरध तकत” फर कभ इसक परकशन क बद पहल क समन नह रहग और म पठक क सथ एक नय जखम उठन क इतजर नह कर सकत ज भ ऐस करन क इरद रखत ह।

«वरध तकत» — скачать книгу в fb2, txt, epub, pdf или читать онлайн. Оставляйте комментарии и отзывы, голосуйте за понравившиеся.
Возрастное ограничение:
12+
Дата выхода на Литрес:
17 октября 2019
Объем:
220 стр.
ISBN:
9788873047537
Правообладатель:
Tektime S.r.l.s.
Формат скачивания:
epub, fb2, fb3, ios.epub, mobi, pdf, txt, zip